Swami Vivekananda Jayanti , National Youth Day 2023: हिंदू धर्म प्रवर्तक, वेदों के ज्ञाता,आध्यात्मिकता से परिपूर्ण स्वामी विवेकानंद ने अपने महान व अनमोल विचारों और आध्यात्मिक ज्ञान से समस्त मानव और खासकर युवाओं को नई राय दिखाई है. यही कारण है कि उन्हें युवाओं का प्रेरणास्त्रोत कहा जाता है और प्रत्येक वर्ष विवेकानंद जी की जयंती यानी 12 जनवरी के दिन को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
स्वामी विवेकानंद को ऐसे महान पथ प्रदर्शक के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने भारत की सभ्यता, धर्म और संस्कृति को पूरे विश्व से रूबरू कराया. आज भी उनके महान विचार और मूल मंत्र युवाओं को देश औऱ समाज की स्थिति सुधारने और बदलाव लाने के लिए प्रेरित करते हैं. स्वामी विवेकानंद की जयंती पर जानते हैं उनके संपूर्ण जीवन दर्शन और आधारभूत सिद्धांतों के बारे में.
स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
स्वामी विवेकानंद का जन्म 1863 में कलकत्ता शहर में हुआ था. कहा जाता है कि उनके बचपन का और पहला नाम नरेंद्र नाथ दत्त था. वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभाशाली थे. कम उम्र में ही उनकी रुचि आध्यात्म की ओर हुई. वे 25 साल की उम्र में संयासी बन गए और गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया.
विवेकानंद जब ईश्वर की खोज में थे, तब उनकी मुलाकात भारत के महान संत, आध्यात्मिक गुरु और विचारक स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुई. वे रामकृष्ण परमहंस के सबसे सुयोग्य शिष्य थे. उन्होंने पूर्ण समर्पण भाव से अपने गुरु की सेवा की और उनके कर्म पथपर चलते हुए प्रसिद्ध भी हुए.
1886 में जब रामकृष्ण परमहंस का निधन हो गया तब विवेकानंद ने अपने गुरु की स्मृति में 1889 में रामकृष्ण मिशन स्थापित की और उनके द्वारा दिए गए वेदांत के उद्देश्यों का आजीवन प्रचार किया. उन्होंने वेदांत के प्रचार से हिंदू धर्म की महानता को विश्वभर में फैलाया.
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु बहुत कम उम्र में ही हो गई. उन्होंने 4 जुलाई 1902 में अंतिम सांस ली, तब वे केवल 39 वर्ष के थे. कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे. लेकिन इसके बावजूद वे अपने शरीर को स्वस्थ रखने और जीवनशैली में कोई कोताही नहीं करते थे. जीवन के आखिरी समय में बेलूर में अपने शिष्यों के साथ थे. उनके शिष्यों अनुसार, जीवन के अंतिम दिन यानी 4 जुलाई को सुबह उन्होंने दो-तीन घंटे ध्यान किय और इसके उन्होंने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली. बेलूर के गंगाघाट पर चंदन की चिता पर स्वामी विवेकानंद की अंतेष्ठी की गई थी.
स्वामी विवेकानंद के आधारभूत सिद्धांत
- ज्ञान व्यक्ति के मन में विद्यमान है और वह स्वयं ही सीखता है.
- मन, वचन और कर्म की शुद्ध आत्मा नियंत्रण है.
- शिक्षा से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक विकास होता है.
- लड़के और लड़कियां दोनों को समान शिक्षा मिलने का अधिकार होना चाहिए.
- स्त्रियों को विशेष रूप से धार्मिक शिक्षा दी जानी चाहिए.
- जनसाधारण में शिक्षा का प्रचार किया जाना चाहिए.
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