निर्भया कांड के10 साल: बलात्कार के कानून को किया गया कठोर, फिर भी राजधानी में रेप 3 गुना बढ़ा

हाइलाइट्स

15 जुलाई तक, दिल्ली में इस साल 1,100 रेप हुए, जो 2021 की पहली छमाही के दौरान 1,033 थे
2016 के दौरान भारत में बलात्कार के मामलों की सजा दर 25.5% थी, जबकि लंबित मामलों की दर 87.7% थी

 नई दिल्ली. दस साल पहले 16 दिसंबर की रात राष्ट्रीय राजधानी में चलती बस में युवती से गैंगरेप की खबर से पूरा देश दहल उठा था. पीड़िता, जिसे बाद में निर्भया कहा गया, की 29 दिसंबर, 2012 को मृत्यु हो गई. मामले में छह लोगों को आरोपी बनाया गया था. इस घिनौने मामले का असर ऐसा हुआ कि पूरा देश सड़कों पर उतर आया और दबाव में रेप के कानून में संशोधन किया गया. वहीं करीब आठ साल बाद चारों दोषियों को फांसी दी गई. हालांकि कड़े कानून के बावजूद रेप के मामलों में कोई भी कमी देखने को नहीं मिल सकी.

दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2012 में शहर में बलात्कार के 706 मामले दर्ज किए गए थे. जबकि कानून में बदलाव लाने के बाद भी जमीनी हकीकत ज्यादा नहीं बदली है. 2012 में दिल्ली में औसतन हर दिन दो बलात्कार के मामले सामने आए. News18 द्वारा विश्लेषण किए गए दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में यह संख्या प्रत्येक दिन पांच से अधिक हो गई है, वहीं शहर में 2,076 मामले दर्ज किए गए. 2022 में भी तस्वीर बेहतर नहीं रही. 15 जुलाई तक दिल्ली में इस साल 1,100 रेप हुए, जो 2021 की पहली छमाही के दौरान 1,033 थे.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2012 में, भारत में 24,923 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए. यह 2011 के आंकड़ों के समान था और 2009 और 2010 की संख्या से थोड़ा अधिक था. कानून को 2013 में संशोधित कर सख्त बना दिया गया था. उस वर्ष, 2013 में, भारत में 33,707 बलात्कार दर्ज किये गए. 2016 तक यह संख्या 38,947 तक पहुंच गई- जो अब तक का एक रिकॉर्ड है. 2020 में, जब देश ने कोरोनावायरस के कारण देशव्यापी लॉक डाउन देखा, तो बलात्कार के मामले 2012 के बाद पहली बार 30,000 से नीचे गिर गए.

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कम सजा दर
2009 में, भारत में बलात्कार की सजा दर 26.9% थी. 2013 में, यह 27% था और छोटी संख्या में बढ़ता रहा. 2009-21 की अवधि के बीच शिखर 2020 में था, जब यह 39% तक पहुंच गया था. 2021 में, यह घटकर फिर 28.6% रह गया. 2016 में, भारत में परीक्षण के लिए 1,52,165 बलात्कार के मामले थे, जिनमें 4,849 सामूहिक बलात्कार शामिल थे. कुल बलात्कारों में से 4,739 मामलों में दोषसिद्धि हुई, जबकि 13,813 मामलों में दोषमुक्ति देखी गई या उन्हें छुट्टी दे दी गई. वर्ष के अंत में 1,33,373 मामले विचारण के लिए लंबित थे. 2016 के दौरान भारत में बलात्कार के मामलों की सजा दर 25.5% थी, जबकि लंबित मामलों की दर 87.7% थी.

Tags: Nirbhaya, Rape cases

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