वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपने बजट भाषण में भारतीय ऑटो उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणाएं की। इस सेक्टर को देश की इकॉनमी के लिए अहम माना जाता है क्योंकि इस सेक्टर का देश की जीडीपी में 7.5 फीसदी हिस्सेदारी है। इस बजट में इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने को प्रोत्साहित करने के लिए नई बैटरी स्वैप नीति की घोषणा, ऑटो कंपोनेंट विकास के लिए प्राइवेट कंपनियों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास में भागीदार बनाना जैसी घोषणाएं की गई है। इसके साथ ही सरकार ने एग्रीकल्चर सेक्टर की मदद के लिए 2.73 लाख करोड़ के एमएसपी देने का भी ऐलान किया है, जो ग्रामीण बाजारों में ऑटोमोबाइल की मांग को बढ़ने में मदद कर सकता है। हम आपको आज पेश किए गए केंद्रीय बजट 2022 की उन घोषणाओं के बारे में बताते है जो भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को आगे बढ़ने में मदद करेंगी।
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2022 में में की गई प्रमुख घोषणाओं में से एक बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी भी है। इस पॉलिसी से भारत में पूरे ईवी इको सिस्टम को फायदा होने वाला है। कार बनाने वाली कंपनियों और ईवी चार्जिंग इंफ्रा प्लेयर्स को भी इस पॉलिसी से फायदा मिलेगा। यह पॉलिसी भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल को खरीद को बढ़ावा देने में मदद करेगी। बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी में सरकार प्राइवेट कंपनियों को बैटरी-स्वैपिंग स्टेशन और टैक्नोलॉजी स्थापित करने की प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेक्टर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे इलेक्ट्रिक बसों और कमर्शियल व्हीकल का निर्माण करने वाली ऑटो कंपनियों को और मदद मिलेगी। इस रणनीति से उन कंपनियों के संबंधित सप्लाई चेन पार्टनर्स को भी मदद मिलेगी।
सस्ते नहीं होंगे कार, बाइक, स्कूटर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जहां अपने बजट भाषण में ऑटो इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए कुछ घोषणाएं तो की है लेकिल इस बजट में ऑटो इंडस्ट्री की सभी मांग पूरी नहीं हुई है। इसमें नए इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने और प्रोत्साहन दिए जाने के लिए टैक्स में कटौती और रिवाइज्ड ड्यूटी स्ट्रक्चर जैसी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। इसके साथ ही ऑटो इंडस्ट्री को बढ़ती इनपुट लागत को कम करने में मदद करने के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। ऐसे में यह बहुत कम संभावना है कि कार, बाइक, स्कूटर की कीमत सस्ती हो जाएगी। इसके बजाय, गाड़ियों को बनाने वाली कंपनियों पर लगातार दबाव के कारण कीमत में वृद्धि हो सकती है।
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